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लेखनी कहानी -14-Oct-2023

हास्य व्यंग्य  : ई डी महाठगिनी हम जानि

कोई जमाना था जब इस देश में एक "धार्मिक" गाना "ईलू ईलू" जन जन की जुबान पर थिरकता  था । जहां देखो वहीं "ईलू ईलू" का शोर सुनाई देता था । किशोर , युवाओं के साथ साथ वृद्ध दिल भी इस गाने को बड़ी शिद्दत के साथ गुनगुनाते थे और अपनी आंखों में मोहब्बत के नित नये सपने सजाते थे । सारे गली मौहल्ले "ईलू ईलू" की कर्ण प्रिय ध्वनि से आबाद रहते थे । जब "ईलू ईलू" के बादल आसमान में छाते थे तब लोगों के दिलों से प्रेम की अखंड बरसात होती थी जिससे हसीनाओं के हसीन चेहरे गुलाब के फूल से खिल उठते थे । जिधर देखो उधर ही हर युवा और किशोर हाथों में अपना आशिकाना दिल लेकर हुस्न के पीछे पीछे "ईलू ईलू" गाते हुए चलते चले जाते थे और इस "ईलू ईलू" की मधुर तान सुनकर हुस्न मन ही मन आनंदित होता हुआ लेकिन प्रत्यक्षत: कृत्रिम रोष प्रकट करता हुआ , मुड़ मुड़कर पीछे की ओर देखता हुआ और मन ही मन "ईलू ईलू" गाता हुआ आगे आगे चलता रहता था । ईलू ईलू गीत के कारण न जाने कितनी प्रेम कहानियां हर गली मौहल्ले में बन गईं थीं । पूरे देश में तब ईलू ईलू के इश्क का बुखार छा गया था जिसकी चपेट में हर जवानी आ गयी थी । लोग "इश्क" को सबसे बड़ा "मजहब" मानते हैं इसलिए लोगों ने "ईलू ईलू" को एक महान धार्मिक भजन घोषित कर दिया ।

पर कोई भी बुखार हमेशा तो नहीं रहता है न ! जैसे और बुखारों को हश्र होता है , वैसे ही ईलू ईलू नामक बुखार का दौर भी खत्म हुआ । उस खाली जगह को भरने के लिए अब "ई डी" का दौर आ गया । चारों तरफ ई डी का बोलबाला हो गया । जैसे एक जमाने में एक विश्व सुन्दरी जो बाद में बॉलीवुड की हीरोइन भी बन गई , के दीवाने हो गये थे लोग ! आज लोग ऐसे ही ई डी के दीवाने हो रहे हैं ।

ई डी की एक बहन भी है जिसका नाम है सी बी आई । लोग कहते हैं कि वह ई डी से भी बहुत खूबसूरत है । उसकी "सुन्दरता" के चर्चे उच्चतम न्यायालय तक में हो चुके हैं । उच्चतम न्यायालय भी उसका "मुरीद" हो चुका है । उसके लाजवाब हुस्न पर हजारों लोग कुर्बान होने को तैयार हैं । सीबीआई के हुस्न के जलवों की ख्याति सुनकर बहुत सी राज्य सरकारें अंदर तक हिल गईं । उन्हें लगा कि यदि उनके राज्य में सीबीआई जैसी अनुपम सुन्दरी आ गई तो पता नहीं वह क्या गजब कर जायेगी ? इस खौफ के कारण उन्होंने अपने राज्य में सीबीआई की एन्ट्री पर पाबंदी लगा दी और उन्होंने सी बी आई की काली छाया पड़ने से भी रोकने के लिए अपने अपने घरों में मोटे मोटे परदे टांग दिये । बेचारी सी बी आई । उसे उनके इस निर्णय पर बहुत निराशा हुई । यह स्वाभाविक था । यदि किसी हसीन लड़की को देखकर कोई लड़का मुंह फेर ले तो उस सुन्दर लड़की को कैसा लगेगा ? उसे अपनी तौहीन लगेगी या नहीं ? सीबीआई ने भी इसे अपनी तौहीन माना पर वह बेचारी क्या कर सकती थी ? राज्यों की सरकारों पर तो उसका कोई वश था नहीं , इसलिए वह केवल ई डी से ईर्ष्या ही कर सकती थी । अत: वह ई डी से ईर्ष्या करने लगी । इससे सीबीआई में हीन भावना पैदा हो गयी । लेकिन इससे ई डी का जोश दुगना हो गया । अब वह निर्विवाद रूप से भारत सुन्दरी घोषित हो गई इसलिए उसने अब खुलकर अपने जलवे दिखाने शुरू कर दिये ।

सौन्दर्य का प्रताप ऐसा होता है कि उसकी चमक से बड़े बड़े ॠषि, महात्मा , संत भी पिघल जाते हैं और वे सौन्दर्य के सामने नत मस्तक हो जाते हैं । भगवान की उपासना को बीच में छोड़कर वे सौन्दर्य के उपासक बन जाते हैं । यहां पर भी ऐसा ही हुआ । बहुत बड़े बड़े तथाकथित ईमानदार जिन्होंने कट्टर ईमानदारी का "चोला" ओढ़ रखा था , वे ई डी के सौन्दर्य जाल में खिंचते चले गये । हमने केवल सुना ही था कि "माया" महाठगिनी होती है पर जब नजदीक से देखने का मौका मिला तो पता चला कि तो ई डी "परम ठगिनी" होती है । "माया" से कोसों आगे है ई डी । न जाने किन किन को अपने मायाजाल में जकड़ लेती है । एक बार जो ई डी सुन्दरी के चंगुल में फंस गया उसकी रक्षा तो सुप्रीम कोर्ट भी नहीं कर पाया ।

ई डी ने बेचारे "कट्टर ईमानदारों" पर अपने हुस्न का ऐसा जादू चलाया कि वे उसके तिलिस्म में फंसकर सीधे  "तिहाड़ जेल" पहुंच गये । मजे की बात देखिए कि मेनका ने तो एक विश्वामित्र की तपस्या भंग की थी पर इस जालिम ई डी ने तो न जाने कितनों की कट्टर ईमानदारी की पोल खोल कर रख दी । कोई कह रहा था कि ई डी के जाल में फंसने वाले कट्टर ईमानदार पंछियों में एक पंछी तो ऐसा बताया है कि उसने "विश्व स्तर के मौहल्ला क्लिनिक" बनवाये थे । वह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ "स्वास्थ्य मंत्री" बताया गया । लेकिन हकीकत क्या निकली ? वह "इधर का माल उधर" करने वाला निकला यानि वह "हवाला" के माध्यम से करोड़ों कमाने वाला निकला । ये है इनकी कट्टर ईमानदारी जो सब लोगों ने देख ली है अब । उसे पहले से ही पता था कि उसे एक न एक दिन तिहाड में जाना ही है इसलिए उसने तिहाड में अपने ऐशो आराम के सब साधन जुटा लिये थे । अब वह लगभग डेढ़ साल से तिहाड़ जेल में "कट्टर ईमानदारी" अभियान चला रहा है ।

ये हवाला वाले भाईसाहब तिहाड़ जेल में अकेले अकेले ही  "मसाज" करा रहे थे , काजू बादाम खा रहे थे , बिसलेरी वाला अमृत तुल्य पानी पी रहे थे । इनके अलावा और भी बहुत कुछ कर रहे थे जो सामने नहीं आ पाया । जब से इन कट्टर ईमानदार भाईसाहब के "कारनामे" जनता और कट्टर ईमानदार पार्टी ने देखे तब से कट्टर ईमानदार पार्टी में तिहाड़ जेल जाने की होड़ लग गई । अगर भोग विलास के साधन जेल में भी मिल जायें तो क्या बुरे हैं ? कट्टर ईमानदारों को तो भोग विलासों से मतलब है इसलिए तिहाड़ जेल जाने वालों की लाइन लग गई ।

"मिस्टर हैण्डसम" जो खुद को महान संत बतलाते थे और विश्व का सबसे अच्छा शिक्षा मंत्री भी बतलाते थे और जिनकी प्रशस्ति "न्यूयार्क टाइम्स" जैसे विदेशी अखबार भी गाया करते थे , वे "शराब नीति" बनाते बनाते करोड़ों का खेल कर गये । कट्टर ईमानदार करोड़ों से कम में खेलेंगे क्या ?

छि: छि: छि: । ऐसे महान संत पर ऐसा घिनौना आरोप ? वाकई ई डी बहुत जालिम है । वह कट्टर ईमानदार लोगों को येन केन प्रकारेण अपने जाल में फंसा ही लेती है । कितना गम है इस दुनिया में ! यदि कोई बेचारा आम आदमी गम में डूबकर दो चार पैग लगा ले, तो वह भी ई डी को बर्दाश्त नहीं होता । बेचारे को पहुंचा दिया तिहाड़ । और आरोप भी क्या लगाया कि वह शराब के ठेकों में भ्रष्टाचार कर रहा था । लो जी, सुन लो ! ठेके तो होते ही भ्रष्टाचार करने के लिए हैं , जैसे कोई "कोठा" होता है "जन सेवा" करने के लिए ।

एक बात सभी को पता होनी चाहिए कि ये कट्टर ईमानदार लोग भ्रष्टाचार भी पूरी "ईमानदारी" से करते हैं । हां, एक बात और । ये पार्टी पढे लिखे लोगों की पार्टी बताई जातक है जैसा कि इनके मुखिया अपनी विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर बताते है । चूंकि यह पार्टी पढे लिखे लोगों की है तो भ्रष्टाचार भी पूरी सफाई से करती है । मजाल है जो कोई सबूत छोड़ दे ! मोबाइल, सिम, लैपटॉप सब तोड़ देती है । यह कोई चौथी पास लोगों की पार्टी नहीं है जो सबूत छोड़ दे । इसलिए इन ईमानदार लोगों के घर से न तो नकद रुपया मिला और न ही शराब की एक बूंद । फिर भी तिहाड़ जेल ? बहुत नाइंसाफी है ये ।

अब सुना है कि तीसरा कट्टर ईमानदार भी तिहाड़ पहुंच गया है । एक से भले दो और दो से भले तीन । अब तो बस चौथे कट्टर ईमानदार की दरकार है । लगता है कि चार लोगों के बिना इनका मन नहीं लग रहा है वहां पर ।  वैसे भी एक गाना है ना "जहां चार यार मिल जायें वहीं रात हो गुलजार" । तो शायद अब चौथे का इंतजार कर रहे हैं ये तीनों । देखते हैं कि चौथा नंबर किसका और कब आता है ? सर जी का या किसी चिंटू पिंटू का ? 😃

लोग सच ही कहने लगे हैं "ई डी महाठगिनी हम जानि "

श्री हरि  14.10.23

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3 Comments

Mohammed urooj khan

16-Oct-2023 12:28 PM

👍👍

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zoom gaming

14-Oct-2023 10:47 PM

👍🏻

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Khushbu

14-Oct-2023 09:41 PM

Nice 👍🏼

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